tag:blogger.com,1999:blog-5939329222897659356.post6392936997074659315..comments2023-08-12T04:56:54.940-07:00Comments on कोलाहल से दूर: माननीय राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य से स्व0 अमृता प्रीतम जी की विरासत को बचाने के लिये किये जा रहे अनुरोध अनुष्ठानडॉ0 अशोक कुमार शुक्लhttp://www.blogger.com/profile/14296351917633881911noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5939329222897659356.post-15139019098922242902011-11-20T01:27:22.184-08:002011-11-20T01:27:22.184-08:00शुभकामनाएं......शुभकामनाएं......SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5939329222897659356.post-87325670881168264542011-11-18T07:09:40.212-08:002011-11-18T07:09:40.212-08:00वेनामी जी
एक अन्य ब्लाग पर ठीक यही टिप्पणी प्रका...वेनामी जी <br />एक अन्य ब्लाग पर ठीक यही टिप्पणी प्रकााशित हुयी है से मैं आपको नाम से भी संबोधित कर सकता हूँ<br /><br />आभार आपका कि आपने मेरेे लिखे शब्दों को गंभीरता से पढा।<br /><br />अब उत्तर आपकी बात का <br /><br />मैने किसी को आसुरी आत्मा नहीं कहा है अपितु किसी अनुष्ठान को आरंभ करने पर निभायी जाने वाली हिन्दू संस्कृति से अवगत कराया है।<br /><br />असुर और सुर की व्याख्या के लिये र्स्वगीय भगवती चरण वर्मा जी के उपन्यास चित्रलेखा का उद्यरण याद दिलाना चाहूँगा कि ‘इस संसार में पाप और पुण्य की परिभाषा हो ही नहीं सकती’। किसी एक की नजर में एक कार्य अनुचित और व्यर्थ हो सकता है किसी अन्य के लिये उचित और आवश्यक सो इसमें राजनैतिक रोटियाँ सेंकने वाली बात कहाँ से आ गयी?<br /><br />एक तथ्य और अवगत करा दूँ किसी चट्टान को तोडने के लिये उस पर हजारों चोटें करनी पडती है तभी जाकर वह टूटती है । अब अगर चट्टान एक हजारवीं चोट पर टूटी तो उस पर की गयी पहली चोट को निरर्थक नहीं कहा जा सकता। प्रत्येक प्रयास का अपना महत्व होता है । <br />मैं विनम्रतापूर्वक आपसे भी यह अनुरोध करूगा कि कृपया इस मुहिम में महामहिम को एक छोटा सा मेल भेज कर चट्टान तोडने हेतु एक चोट आप भी अवश्य करें। क्या मालूम आपकी ही चोट पर चट्टान को टूटना हो? <br />शुभकामनाओं सहित।डॉ0 अशोक कुमार शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/14296351917633881911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5939329222897659356.post-21165205231534432332011-11-18T07:05:08.849-08:002011-11-18T07:05:08.849-08:00अशोक जी ...आपके द्वारा पोस्ट में जो भी नाम छुपाकर ...अशोक जी ...आपके द्वारा पोस्ट में जो भी नाम छुपाकर टिप्पणियां दी गयी हैं...वे सभी एक दम उचित व सटीक हैं....<br />---आपने जो असुर आत्माओ कहा है , वह कथन आपकी ओछी मानसिकता को दर्शाता है..विरोधी विचार वालों को गलत कहना....क्या स्वयं आप जो कह -कर रहे है वही सत्य है ????? यह आपकी विचार धारा आसुरी विचार धारा है ...<br />---- निश्चय ही इस व्यर्थ की मुहिम द्वारा प्रसिद्धि व राज्नैतिक रोटियां सेकना ही मकसद हैं ...Anonymousnoreply@blogger.com