रविवार, 9 अक्तूबर 2022

समय के साथ किसी की भी सीरत उसकी सूरत से झलकने लगती है..

कल मालिक मोहम्मद जायसी का जन्म दिवस था..!
जायस नगर के कस्बे कंचाना में इनका जन्म हुआ था। जहाँ ये पैदा हुए थे उस स्थान पर अब लखौरी ईंटों से बनी दीवारो के चंद अवशेष ही बचे हैं। कहते हैं कि मालिक के बचपन में उन्हें कोई भयंकर रोग हुआ जिससे निराकरण के लिए उनकी माँ ने किसी पीर से मनौती मानी।उस पीर की दुआ के बाद बालक का जीवन तो बच गया लेकिन उनका शरीर विकृत हो गया, उनकी एक आँख चली गयी, बांया कान भी नाकाम हो गया। यह महान कवी जब शेरशाह के दरबार में गया तो बादशाह इनकी विकृत स्थिति और कुरूप चेहरा देखकर हंस दिया। उस हंसी का जवाब जायसी ने बादशाह से यह पूंछकर दिया-
ष्तू मुझ पर हंसा या उस कुम्हार पर जिसने हम सबको बनाया है..ष्
इस पर शेरशाह ने लज्जित होकर क्षमा मांगी..।
..लेकिन जायसी जी की जो एकमात्र तस्वीर प्रचारित है वह एक सुन्दर युवक की तस्वीर है ।
सही कहा गया है ...
समय के साथ किसी की भी सीरत उसकी सूरत से झलकने लगती है..!
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