रविवार, 3 जुलाई 2011
रूपान्तरण [कहानी]
उस पूरी रात मैं सेा न सका। प्रातः जल्दी उठा और सावित्री दीदी के लिखे सारे पुराने पत्रों की पूंजी निकाल लाया। एक एक कर उन्हें अपनी पढाई के टेबिल पर बिखराकर पुनः नये सिरे से पढने लगा। उन पत्रों को नयी द्वष्टि से पढते हुये सोच रहा था कि ‘क्या सचमुच दीदी के आखिरी पत्र में लिखी हिदायत के अनुरूप इन्हे नष्ट कर दिया जाय ?’ इन सारे पत्रों में तो मुझे अब भी उद्बोधन और प्रेरणास्पद सूक्तियां ही दिखलायी पड रही थीं। बडे प्रयासेां के बाद भी मैं उन पत्रों ऐसा कुछ भी न खोज सका जो उन्हे आपत्तिजनक या असंग्राही बनाता हो। अंत में हार कर एक ब्लेड ले आया और उन सारे पत्रों में जहां जहां ‘‘भैया’’ और ‘‘दीदी’’ नामक संबोधन अंकित था उसे ब्लेड से कुतरने लगा। सावित्री दीदी के उस आखिरी पत्र में दी गयी हिदायत के अनुरूप आखिर उन्हें नष्ट जो करना था।साहित्य शिल्पी के 22 जून अंक में प्रकाशित हुयी है।
यदि आप भी इस कहानी को पूरा पढ़ना चाहते हैं तो कृपया नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें , और हाँ कहानी पढ़ने के बाद अपनी टिप्पणी भेजना न भूलें।
आभारी रहूंगा
पूरी कहानी पढ़ने के लिए आगामी लिंक पर क्लिक करे .........उत्तर प्रदेश राजस्व (प्रशासनिक) अधिकारी मंच: रूपान्तरण [कहानी]
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
लोकप्रिय पोस्ट
-
आदरणीय मित्रों , शुभप्रभात..! # पोस्टिंगनामा युगपुरुष अटलबिहारी बाजपेई और मदन मोहन मालवीय दोनों का जन्म आज ही के द...
-
शायद कोई पांच एक साल पुरानी बात है, किसी समारोह में स्मृति चिन्ह के रूप में दयानन्द पाण्डेय जी का उपन्यास 'बांसगांव की मुनमुन' मिल...
-
इसी तरह कडी दर कडी जुडते हुये बच जायेगी स्व0 अमृता प्रीतम की धरोहर स्व0 अमृता प्रीतम जी के निवास के25 हौज खास को बचाकर उसे राष्ट्रीय धरोहर क...
-
26 जुलाई का दिवस स्वतंत्र भारत के लिये एक महत्वपूर्ण दिवस है क्योंकि हम इसे कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ यादें आ...
-
23 जुलाई का दिवस भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास का महत्वपूर्ण दिवस है क्योंकि इस दिन राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़े दो भिन्न विच...
Sahityashilpi se saabhar
जवाब देंहटाएं