रविवार, 17 जुलाई 2011
क्या देवी-देवताओं को वाहनों की जरूरत पड़ती है?
कभी ध्यान से श्री कृष्णजी के पास खड़ी उनकी पांव की तरफ मुग्ध भाव से झुकी गाय को देखा है। कितने कोमल भाव हैं कितनी ममता है। भगवान दत्तात्रेयजी के साथ सदा मुग्धा गाय, काले कुत्ते या कबूतर को देख किसके मन में हिंसा उपज सकती है। ईसा की बाहों में मेमना, घायल हंस को अश्रुपूरित आंखों से तकते सिद्धार्थ, माँ सरस्वतीजी का हंस, शिवजी के पूरे परिवार का विभिन्न पसु-पक्षियों के साथ सानिध्य, गुरु गोविंद सिंहजी का बाज यह सभी तो एक ही संदेश दे रहे हैं। दया का, ममता का, धरा के सारे प्राणियों के साथ प्रेम-भाव का।
कुछ अलग सा: क्या देवी-देवताओं को वाहनों की जरूरत पड़ती है?
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in the present scenario when everybody is conscious about animal rights & their proptection, i feel attaching an animal with the diety atleast encourages our respect for that particular animal
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