सोमवार, 11 जुलाई 2011

महर्षि दधीचि का मिस अल्मोडा कनेक्शन.....

बाबा रामदेव द्वारा महिला वस्त्रों का धारण करने की खबर अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि हमको महर्षि दधीचि के मिस अल्मोडा कनेक्शन की सनसनाती हुयी जानकारी के कुछ सुराग हाथ लगे हैं। बात दरअसल यह है कि अभी हाल ही में हमें जनपद सीतापुर की तहसील मिश्रित (जो हमारी ननिहाल भी है) जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
यह जनपद सीतापुर महाकवि नरोत्मदास की जन्म स्थली के अतिरिक्त नैमिशारण्य चक्रःतीर्थ , महर्षि दधीचि निर्वाण सरोवर आदि पौराणिक तीर्थ स्थानो के लिये भी प्रसिद्ध है। हिन्दू धर्मकथाओं के अनुसार देवता असुर संग्राम में महर्षि दधीचि ने अपनी हड्डियों से वजा्रस्त्र बनाने के लिये अपने शरीर का त्याग यहीं किया था वह स्थान अब यहाँ मिश्रित तीर्थ के रूप में जाना जाता है।



1 सूर्यास्त की बेला में महर्षि दधीचि के निर्वाण स्थल पर बने मंदिर की छटा

मिश्रित तीर्थ स्थान में महर्षि दधीचि निर्वाण सरोवर नामक एक बहुकोणीय सरोवर है जिसके बारे में कहा जाता है कि जब महर्षि दधीचि ने अपने शरीर के त्याग का निर्णय लिया तो उनके शरीर पर पवित्र गंगाजल उँडेला जाता रहा और गौमाता के द्धारा उनके शरीर को तब तक चाटा जाता रहा जब तक कि वह हड्यिों का ढ़ांचे के रूप में परिवर्तित नहीं हो गया। अवशेष हड्डियों से बने वज्रास्त्र की सहायता से ही देवताओं को विजय की प्राप्ति हो सकी। महर्षि के शरीर पर उँडेले गये पवित्र जल से ही इस सरोवर का निर्माण हुआ।

महर्षि दधीचि के निर्वाण स्थल पर एक प्राचीन मंदिर निर्मित है जिसके प्रांगण में ही यह बहुकोणीय सरोवर स्थित है। इस प्रांगण के चारो ओर घनी बस्ती है और इसी बस्ती के बीच में सरोवर में प्रवेश करने के आठ द्धार हैं । बचपन से अनेक बार इन द्धारों से गुजरने का अवसर मुझे मिलता रहा है परन्तु इस बार इस द्वार से प्रवेश करना विशेष घटना के रूप में घटित हुआ क्योंकि इस बार यह प्रवेश द्वार कुछ विशिष्ठता सहेजे हुये था।
यूँतो घनी बस्ती होने के कारण लगभग प्रत्येक प्रवेश द्धार के अगल बगल में अस्थायी दुकानें अथवा छप्पर आदि डालकर अतिक्रमण किया जाना आम बात है परन्तु इस बार जो देखने को मिला वह अनोखा था। महर्षि दधीचि सरोवर के एक प्रवेश द्धार पर इस बार ‘मिस अल्मोडा गेट’ लिखवाया गया है ।



2 महर्षि दधीचि सरोवर के एक प्रवेश द्वार पर अंकित ‘मिस अल्मोडा गेट’

आस पास कई महानुभावों से पूछताछ किये जाने के बाद भी हमें कोई भी यह नही बता सका कि कौन सी ‘मिस अल्मोडा’ के द्धारा (अथवा उनकी स्मृति में) इस द्धार का नामकरण किया गया गया है।



3 दधीचि कुण्ड में सूर्यास्त की मनोरम छटा

सौभाग्य से मेरा ननिहाल यहाँ होने के कारण बचपन से कई बार यहाँ आने का सौभाग्य मिलता रहा है । मेरी स्मृति में नहीं आता कि इसके पहले कभी इस प्रवेश द्वार पर ऐसी कोई संज्ञा अंकित पायी हो। इसी ‘मिस अल्मोडा गेट’ के ठीक नीचे किसी दाँतों के अस्पताल का विज्ञापन पट लटका हुआ है । इस अस्पताल की पड़ताल करने पर एक ऐसे सज्जन से मुलाकात हुयी जिन्हे सम्मानित भाषा में झोलाछाप कहा जाता है।




4 महर्षि दधीचि सरोवर के प्रवेश द्वार पर विज्ञापित ‘दाँतों का अस्पताल’


मुझे उनके झोले से कोई गुरेज नहीं था सो ताजा -ताजा ‘मिस अल्मोडा गेट’ अंकित पाकर मैं अपनी इस पृच्छा का समाधान उनसे भी पूँछ बैठा। बहरहाल यह बात कोई भी नही बता सका कि कौन सी मिस अल्मोडा के द्धारा, अथवा किनकी स्मृति में इस प्राचीन द्धार का नवीनतम् नामकरण किया गया है , हाँ....वे भी नहीं बता सके .., जिन्होने इस नाम के ग्लैमर में अपना झोला पूरी मजबूती से टाँग रखा है।
...... और महर्षि दधीचि का यह ‘मिस अल्मोडा कनेक्शन’ मेरे लिये अनसुलझा ही रहा।
अब आप के साथ इस वृतांत को इस आशा के साथ बाँट रहा हूँ कि शायद आप ही इस सुराग के माध्यम से महर्षि दधीचि के मिस अल्मोडा कनेक्शन का रहस्योद्घाटन कर सकें।

नवभारत Times पर शुरू हुयी कोलाहल से दूर ब्लॉग सेवा पर भी आप क्लिक करके इसे पढ़ सकते है

इसी पेज पर
पर जाना होगा।

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