बहुत समय नहीं बीता है जब सारे संसार ने देखा कि अमेरिका ने अपने सुग्राही यंत्रों के माध्यम से संसार में आतंक का पर्याय बन चुके ओसामा बिन लादेन का ठीक ठीक ठिकाना ढूँढकर उसे समाप्त कर डाला था। अमेरिका के समूचे मिशन में आतंकवादी की ठीक ठीक स्थिति ज्ञात कर पाने में उसके द्वारा अंतरिक्ष में नेविगेशन उपग्रहो का योगदान रहा । अमेरिका द्वारा पृथ्वी के चारों ओर अट्ठाइस नेविगेशन उपग्रह इस प्रकार छोडे गये हैं कि वे संसार के समूचे भाग पर नजर रख सकते हैं। इनकी कार्यप्रणाली ऐसी है कि संसार के प्रत्येक स्थान पर एक समय में न्यूनतम चार उपग्रहो से संकेत हर परिस्थिति में प्राप्त होते रहते हैं। इन्ही पा्रप्त संकेतों के माध्यम से पृथ्वी पर स्थित किसी वस्तु की ठीक ठीक स्थिति ज्ञात की जा सकती है।
चित्र 1 राजस्व परिषद में आयोजित भूअभिलेख आधुनिकीकरण कार्यशाला
समूचा विश्व इन नेविगेशन उपग्रहों के माध्यम से प्राप्त संकेतों के आधार पर जी पी एस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) प्रणाली का उपयोग कर रहा है। इस प्रणाली का सबसे सरल और उपयोगी उदाहरण आज के नये मोबाइलो में किसी भी अनजान शहर में आपकी स्थिति बता सकने वाला नेविगेशन ब्राउजर है। हमारी भारत सरकार ने अब नेविगेशन उपग्रहों से प्राप्त संकेतों के आधार पर समूचे देश में भूचित्रों को अद्यतनीकृत करने हेतु महत्वकांक्षी योजना बनायी है।
चित्र 2 पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करते नेविगेशन उपग्रहो का जाल
भारत सरकार द्वारा समूचे देश में लागू किये जाने हेतु प्रायोजित किया गया राष्ट्रीय भूअभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम अपने किस्म का ऐसा अनोखा कार्यक्रम है जिसके अर्न्तगत समूचे देश में सीमाओं का निर्धारण अक्षांश और देशान्तरों के मानों के आधार पर किया जायेगा। इतना ही नहीं इस कार्यक्रम के अंतरगत प्रत्येक ग्राम की सभी जोतों का निर्धारण भी अक्षांश और देशांतर के मान के आधार पर किया जायेगा।
भूमि व्यवस्था और कानून व्यवस्था राज्य सरकार के विषय होने के कारण वर्तमान समय में अलग अलग प्रदेशों में भिन्न भिन्न व्यवस्थायें लागू हैं। मोटे तौर पर समूचे देश में भूमि संबंधी अभिलेखों का रखरखाव करने वाला सबसे छोटा राजस्व कर्मचारी पटवारी अथवा लेखपाल होता है जिसके पास भूअभिलेखों का ब्यौरा तथा उससे संबंधित नक्शा होता है। किसी विवाद की स्थिति में यही पटवारी विवादित स्थल पर जाकर नाप जोख कर विवाद के विषय को समाप्त करने का प्रयास करता है। गाँव की नाप के लिये निर्धारित मुख्य सीमा चिन्हों के क्षतिग्रस्त होने के कारण राजस्व पटवारी की नाप जोख के संबंध मे अक्सर शिकायत मिलती है कि एक की जमीन उसने अधिक नाप दी और दूसरे की कम। इस प्रकार के आरोप ऐसे दीर्धगामी विवादों को जन्म देते हैं जो राजस्व न्यायालयों से गुजरता हुआ अंततः भारतीय न्याय प्रणाली की शरण में आकर मुकदमों के अंबार के रूप में इकट्ठा होते जा रहे है।
चित्र 3 उपग्रह से संकेत प्राप्त करने हेतु यंत्र को व्यवस्थित करते लेखक
इन सब व्यवहारिक परेशानियों से निबटने के लिये भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना राष्ट्रीय भूअभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम वर्ष 2008 से समूचे देश में लागू किये जाने की कवायद की जा रही है। इस योजना के तहत समस्त राजस्व अभिलेख इन्टरनेट पर उपलब्ध हो सकेंगें। और आने वाले दिनों में भूमि संबंधी विवादों के निबटारे के लिये आने वाले समय में उपग्रह द्वारा भेजे गये चित्रों का उपयोग किया जा सकता हैं। जी हाँ यह सच हैं भारत सरकार ने समूचे देश में भूअभिलेखों को अद्यतन रखने के लिये लैन्ड टाइटलिंग बिल 2011 का मसौदा राज्य सरकारों को उनकी राय के लिये भेजा है। इसी कार्यक्रम के तहत भारत सरकार द्वारा प्रायोजित भू अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम की राज्य स्तरीय कार्यशाला राजस्व परिषद लखनऊ के सभागार में दिनांक 12 सितम्बर 2011 से 16 सितम्बर 2011 तक आयोतित हुयी जिसमें उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग चकबन्दी विभाग स्टाम्प एवं पंजीयन विभाग के चुनिंदा अधिकारियों को इस बाबत शिक्षित किया गया।
चित्र 4 उपग्रह से संकेत प्राप्त करता सुग्राही यंत्र
इस योजना के तहत अति संवेदनशील यंत्र टोटल स्टेशन आदि की सहायता से सीमा के निर्धारण हेतु नियत किये गये बिन्दुओं का अक्षांक्ष और देशान्तर मानों को संग्रहीत किया जायेगा और किसी विवाद की स्थिति में इन्हीं अक्षांश और देशान्तर मानों के आधार पर विवाद का निबटारा किया जा सकेगा। आगे के चरणों में संसार के सर्वाधिक विकसित देश फ्राँस अमेरिका और ब्रिटेन की तर्ज पर अपने देश में भी समस्त भू सम्पत्तियों के लिये यूनीक आइडेन्टीफिकेशन नम्बर आबंटित किये जाने का भी प्राविधान इस योजना का प्रमुख अंग हैै। इसके लागू होने के बाद माउस के एक क्लिक पर आप अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन पर अपनी भूमि का नामान्तरण पंजीयन और अन्य सम्पूर्ण ब्यौरा भी देख सकेंगे।
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उपयोगी एवं सार्थक तकनीक।
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए आभार।
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मायावी मामा?
रूमानी जज्बों का सागर है प्रतिभा की दुनिया।
अमेरिका एक progressive चिंतन वाला देश है। समस्यायों के निदान पर विशेष ध्यान देता है, इसीलिए आज सबसे अग्रणी है। GPS द्वारा बहुत सी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। भारत में इस दिशा में प्रयास स्वागत योग्य है। जानकारी देते इस आलेख के लिए आभार।
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