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आज विश्व गौरैया दिवस है
रायल सोसाइटी आफ प्रोटेक्शन आफ बर्ड ने भारत समेत विश्व के अनेक हिस्सों में हुये शोध के आधार पर गौरैया को वर्ष 2010 में लाल सूची यानी लुप्त प्राय पक्षियो की सूची में शामिल कर लिया है।
गौरैया के बचाने की कवायद में दिल्ली सरकार ने गौरैया को अपने राज्य में राजपक्षी घोषित किया है।
पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि गौरैया के लापता होने के कई कारण हैं जिनमें मोबाइल के टावर प्रमुख हैं। मोबाइल टावर 900 से 1800 मैगाहर्टज की आवृति उसर्जित करते हैं जिससे निकलने वाली विद्युत चुंबकीय विकीरण से गौरैया का नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है इससे दिशा पहचानने की उसकी क्षमता भी प्रभावित होती है आम तौर से 10 से 15 दिनों तक अण्डा सेने के बाद गौरैया के बच्चे निकल आते है लेकिन मोबाइल टावरों के पास 30 दिन सेने के बावजूद अण्डा नहीं फूटता ।
आधुनिक जीवन शैली तथा मकानों और भवनों के वास्तु में बदलाव के कारण गौरैया के घोसले वाले स्थान समाप्त हो गये हैं।
घरों के पिछवाडे आंगन और पेडों की कमी मे कारण और शहर में कचरा बढने से कोओं की संख्या भी बढ रही है जो गौरैया के अण्डे को खा जाते हैं।
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संसार के अनेक देशों में गौरैया के पाये पये जाने की स्थिति मूल निवास गहरे हरे में, तथा रोपित निवास हलके हरे रंग में दर्शित है।
(चित्र हिन्दी विकीपीडिया से साभार)
भारत के अलावा ब्रिटेन जर्मनी फ्रांस चेक गणराज्य बेल्जियम इटली और फिनलैड के शहरों में भी गौरैया की संख्या तेजी से घट रही है। कम से कम इस विषय में तो इटली और भारत एक जैसी स्थिति में है।