उत्तराखंड राज्य के जनपद सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ से धारचूला जाने वाले मार्ग पर लगभग सत्तर किलोमीटर दूर स्थित है कस्बा थल जिससे लगभग छः किलोमीटर दूर स्थित है ग्राम सभा बल्तिर । यहीं पर एक अभिशप्त देवालय है नाम है एक हथिया देवाल।
चित्र 1थल में लहलहाते धान के खेतों की मनमोहक छटा
किंवदंती है कि इस ग्राम में एक मूर्तिकार रहता था जो पत्थरों केा काटकाटकर मूर्तियाँ बनाया करता था। एक बार किसी दुर्धटना में उसका एक हाथ जाता रहा। अब वह एक हाथ के सहारे ही मूर्तियाँ बनाना चाहता था।
परन्तु गँाव के कुछ लोगों ने उसे यह उलाहना देना शुरू किया कि अब एक हाथ के सहारे वह क्या कर सकेगा? लगभग सारे गाँव से एक जैसी उलाहना सुन सुनकर मूर्तिकार खिन्न हो गया। उसने प्रण कर लिया कि वह अब उस गाँव में नहीं रहेगा और वहाँ से कहीं और चला जायेगा।
चित्र 2 हथिया देवाल का पहुँच मार्ग
यह प्रण करने के बाद वह एक रात अपनी छेनी, हथौडी सहित अन्य औजार लेकर वह गाँव के दक्षिणी छोर की ओर निकल पडा। गाँव का दक्षिणी छोर प्रायः ग्रामवासियों के लिये शौच आदि के उपयोग में आता था। वहाँ पर एक विशाल चट्टान थी ।
चित्र 3 मार्ग में मौसमी झरने की लुभावनी छटा
अगले दिन प्रातःकाल जब गाँव वासी शौच के उस दिशा में गये तो पाया कि किसी ने रात भर में चट्टान को काटकर एक देवालय का रूप दे दिया है। कैतूहल से सबकी आँखे फटी रह गयीं। सारे गांववासी वहाँ पर एकत्रित हुये परन्तु वह कारीगर नहीं आया जिसका एक हाथ कटा था। सभी गांववालों ने गाँव मे जाकर उसे ढूंढा और आपस में एक दूसरे उसके बारे में पूछा परन्त्तु उसके बारे में कुछ भी पता न चल सका , वह एक हाथ का कारीगर गाँव छोडकर जा चुका था।
चित्र 4 अभिशप्त देवालय जिसके बारे में यह किंवदंती है कि वह एक रात मे उकेरा गया
जब स्थानीय पंडितो ने उस देवालय के अंदर उकेरी गयी भगवान शंकर के लिंग और मूर्ति को देखा तो यह पता चला कि रा़ित्र में शीघ्रता से बनाये जाने के कारण शिवलिंग का अरघा विपरीत दिशा में बनाया गया है जिसकी पूजा फलदायक नहीं होगी बल्कि दोषपूर्ण मूर्ति का पूजन अनिश्टकारक भी हो सकता है।
बस इसी के चलते रातो रात स्थापित हुये उस मंदिर में विराजमान शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती। पास ही बने जल सरोवर में (जिन्हे स्थानीय भाषा में नौला कहा जाता है) मुंडन आदि संस्कार के समय बच्चों को स्नान कराया जाता हैं
चित्र 5 ग्राम बल्तिर में खेतो को जोतता किसान
रविवार, 27 नवंबर 2011
बुधवार, 16 नवंबर 2011
माननीय राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य से स्व0 अमृता प्रीतम जी की विरासत को बचाने के लिये किये जा रहे अनुरोध अनुष्ठान
हिन्दू संस्कृति में जब कोई अनुष्ठान किया जाता है तो सर्वपृथम अनुष्ठान स्थल पर देवताओं का आह्वाहन करते हैं । इस अवसर पर देवताओं के साथ असुर आत्माओं का भी आह्वाहन करने की परंपरा रही है । कहा जाता है कि यदि इन्हें आंमंत्रण न दिया जाय तो ये स्वयं बिना बुलाये आकर अनुष्ठाान में बिध्न डालने आ जाती है । सम्मान पूर्वक पहले हे बुला लेने की दशा में अनुष्ठान में बिध्न की संभावना समाप्त हो जाती है। आज मुझे यह परंपरा इसलिये याद आयी क्योंकि माननीय राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य से स्व0 अमृता प्रीतम जी की विरासत को बचाने के लिये किये जा रहे अनुरोध अनुष्ठान में ऐसे विध्नकारी तत्वो की आवाजाही लगातार बनी हुयी है ।
कुछ बानगी पेश हैंः.
********* ने कहा३
हां अशोक जी बिल्कुल मूर्खतापूर्ण मुहिम है ण्ण्ण्इस प्रकार तो सारा देश ही साहित्यिक धरोहर बन जायगाण्ण्ण्ण्ण्किसी साहित्य्कार की क्रितियां धरोहर हुआ करती हैंण्ण्ण्उनके मकान नहीं ण्ण्ण्
.********** ने कहा३ .
.यह उसी प्रकार की मूर्खता है जो राजघाटध् शक्ति स्थल पर सभी प्रधानमन्त्रियों के स्थल बनाकर की जारही हैण्ण्ण्इस प्रकार सारी दिल्ली कब्र्गाह बन जायगीण्ण्ण्ण्बन्द कीजिये ये व्यर्थ की चौंचले बाजी ण्ण्ण्ण्
********** ने कहा३
अशोक शुक्ला जी / क्या सोच कर आपने ये नेक सलाह दे डाली. मैंने केवल नारी.पक्ष को रखा तो दूध ही बना डाला और आपको बताऊँ तथाकथित पुरुष जो होते हैं ऐसे बिल्ला होते हैं जिनपर हमेशा कीड़े.मकोड़े ए मक्खियाँ ही भिनभिनाया करते हैंण- आप भी नारी.विमर्श करके अपनी रोटी ही तो सेंकने पर लगे हुए हैंण. जरा अपने अन्दर झाँका भी कीजिय
********** ने कहा३
. यह ओछी मनोव्रित्ति आज के व्यापारी साहित्य्कार की है------ण्ण्ण्ण्क्या प्रेम्चन्द या अम्रता का मकान नष्त होजाने से समाज में उनकी मौजूदगी उनका काल्जयी साहित्य नष्ट होजायगा ----
...छोडये ये व्यर्थ की बातें -----हित्य रचिये-----ण्ण्ण्कहिये -----ण्ण्ण्छ----पवाइये----ण्ण्ण्ण्ण्---बिना किसी भी लाभ की सोच के-----ण्ण्ण्
********** ने कहा३
...वैसे ये अम्रता..इमरोज़ है कौन ?
********** ने कहा३
हर चीज़ नाशवान है ! ३अपने वश में है उतना तो हम अफ़सोस करें ए बाकी चिंता परमात्मा पर छोड़दें तो बेहतर नहीं होगा घ् माफ़ करें ए अगर मैं आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा हूं ३
३और अब जब मकान ढह ही चुका है ए वहां किसी प्रयास से फिर वहां वैसा ही मकान बना भी दिया जाए ; जिसकी संभावना है भी नहीं द्ध तो भी वह बात तो बननी नहीं न !
********** ने कहा३
सच भी है . अपने आप का पता और कोई नहीं होता ए अपना आप ही होता है------बाकी नश्वर चीज़ों में किसी का अस्तित्व तलाशना ए और ख़ुद को तबाह करके तलाशना सही नहीं ।
आपसे अपनत्व महसूस होने के कारण कह रहा हूं ३
ख़ुद को संभालें ३
********** ने कहा३
लेकिन इमरोज़ ने जो फैसला लिया ए वो सोच समझ कर ही लिया होगा ण्
इस नश्वर संसार में किसी भी वस्तु से मोह नहीं पालना चाहिए ए यह गीता का उपदेश है ण्
यादें दिल में रहेंगी ..लेकिन उस मकां की नहीं ए उन पलों की जो एक साथ गुजारे गए ण्
आपकी कोमल भावनाओं को ठेस न पहुंचेए यही कामना है
********** ने कहा३
क्या कवि. साहित्यकार ण्ण्ण्नामए याद रखे जाने के लिये लिखते हैंण्ण्ण्क्या कभी किसी साहित्य्कार ने स्वयं यह कहा घ्घ्घ्घ्घ्
********** ने कहा३
महज़ ईंट पत्थर गारे से घर नहीं बनता और उनके मिट जाने से मिटता भी नहींण्ण्ण्घर घरवालों से बनता हैण्ण्ण्इमरोज़ जी ने क्या खूब कहा हैरू.
********** ने कहा३
आप भी नारी.विमर्श करके अपनी रोटी ही तो सेंकने पर लगे हुए हैं.
********** ने कहा३
जिस्म गयाए जान गयी एरूह गयी
अब ईंट. पत्थरों को समेटने से क्या होगा
मै तो फ़िज़ा के जर्रे जर्रे मे बिखर गयी
अब मिट्टी को खंगालने से क्या होगा
********** ने कहा३
साहित्यकार और लेखको ने आज तक समाज का उत्थान कम किया है और पतन ज़्यादा | अस्तु इनकी संख्या भी आजकल काफ़ी बढ़ गयी है हर एक कस्बे मे दस बारह धरोहर बन जाएँगी |
********** ने कहा३
राष्ट्रपति को अपना काम करने दो बेटा ऐसे फ़िजूल मे अगर उसको उलझाओगे तो महत्वपूर्ण कार्य अटक जाएँगे |
********** ने कहा३
क्या राष्ट्रपति के पास कोई काम नही होता ? इस विशाल भारत मे अनेको लेखिकाए और लेखक हुए है और उनके मूरीद भी बड़ी संख्या मे है तो क्या राष्ट्रपति पूरे पाँच साल इन्ही स्मारको के पीछे भागता रहे ?
********** ने कहा३
पता नही क्या हो गया है आजकल के लड़के लड़कियो को चार आखर क्या पढ़ लेते है नाम के लिए कुछ ना कुछ शगूफा करते ही रहते है |
********** ने कहा३
बेटी, कोई ढंग का काम करो |बाबा का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है | अमृता प्रीतम को छोड़ दो उसके आशिको के भरोसे |
तमाम विध्न बाधाओ के बाद भी अनेक साहित्य प्रेमी इस मुहिम से जुडे है माननीय राष्ट्रपति के कार्यालय से मुझे एक मेल आया है जिसमे लिखा है कि स्वयं राष्ट्रपति सचिवालय इस प्रकरण को देख रहा है । मेरा विश्वाश है कि हमें शीध्र ही कुछ न कुछ सार्थक परिणाम मिलेंगें। कृपया अपना उत्साह बनाये रखें ।
यह है हमारी मुहिम
1ः-स्व0 अमृता प्रीतम जी के निवास स्थान 25 हौज खास के परिसर को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में अधिग्रहीत करते हुये उस स्थान पर स्व0 अमृता प्रीतम जी की यादो से जुडा एक संग्रहालय बनाया जाय।
2ः-यदि किन्ही कारणों से उपरोक्तानुसार प्रार्थित कार्यवाही अमल में नहीं लायी जा सकती तो कम से कम यह अवश्य सुनिश्चित किया जाय कि संदर्भित स्थल 25 हौज खास पर बनने वाले इस नये बहुमंजिला भवन का नाम स्व0 अमृता प्रीतम के नाम पर रखते हुये कमसे कम इसके एक तल को स्व0 अमृता प्रीतम के स्मारक के रूप में अवश्य संरक्षित किया जाय।
कृपया एक पहल आप भी अवश्य करें
भवदीय
डा0अशोक कुमार शुक्ला !
शुक्रवार, 11 नवंबर 2011
11.11.11 को 11.11 बजे कुल 11 कडियों की सहायता से स्व0 अमृता प्रीतम की धरोहर को बचाने की मुहिम !
इसी तरह कडी दर कडी जुडते हुये बच जायेगी स्व0 अमृता प्रीतम की धरोहर स्व0 अमृता प्रीतम जी के निवास के25 हौज खास को बचाकर उसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संजोने के लिये अनेक साहित्य प्रेमियों द्वारा माननीय राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य एवं दिल्ली सरकार से अनुरोध किया है। ऐसा विश्वास है कि इस मुहिम का असर अवश्य ही होगा । फिलहाल इस मुहिम में शामिल लोगों के प्रयासों का हाल लिंक के रूप में आप सबके साथ साझा कर रहा हूँ साथ ही यह भी उम्मीद करूँगा कि आप भी अपना अमूल्य सहयोग देकर इस मुहिम को आगे बढाते हुये महामहिम से इस प्रकरण में हस्तक्षेप का अनुरोध अवश्य करेंगें।
अमृता जी का पुराना घर जिसकी नेम प्लेट उनकी कलात्कता को दर्शाती है
1 मुहिम की शुरूआत करने के लिये हरकीरत ‘हीर’ जी के ब्लाग मुहिम का लिंक है
बिक ही गया अमृता का मकान!!!!
2 इस मुहिम के बाद महामहिम को भेजे गये पत्र की प्रति और राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य के कार्यालय द्वारा एक सप्ताह के उपरांत कृत कार्यवाही जानने संबंधी ब्लाग कोलाहल से दूर पर इस मुहिम का लिंक है
कोलाहल से दूर
!!
अमृताजी की तस्बीरो की नुमाइश लगा बैठे ये हैं इमरोज
3 विक्षुब्ध होकर नामक ब्लाग पर
रोमेन्द्र सागरजी के द्वारा भी एक लिंक दिया गया है।!!
4 भारतीय नारी ब्लाग पर ही सुश्री शिखा कौशिक द्वारा चलायी गयी मुहिम का लिंक है!!!!
यह रही राष्ट्रपति भवन की शिकायत प्राप्ति रसीद
5 महामहिम राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य को भेजे गये पत्र के साथ
भारतीय नारी ब्लाग पर इन पंक्तियों के लेखक द्वारा प्रारंभ की गयी मुहिम का लिंक है
6 ‘भारतीय ब्लाग समाचार’ नामक ब्लाग पर
सुश्री शिखा कौशिक द्वारा प्रारंभ की गयी मुहिम का लिंक है
और यह रही धूल धूसरित मकान की आज की सूरत
7 डेली न्यूज पत्रिका खुशबू ने अपनी पत्रिका में
अमृता जी की विरासत को बचाने के लिये चलायी गयी मुहिम का लिंक है
8 अमृता प्रीतम की याद में नामक ब्लाग पर
रंजना रंजू भाटिया जी द्वारा अमृता जी की विरासत को बचाने के लिये चलायी गयी मुहिम का लिंक है
9 अनन्या नामक ब्लाग पर सुश्री अंजू जी द्वारा भी इस मुहिम को चलाया गया है जिसका लिंक है
चित्र अंजू जी के ब्लाग से साभार
10 हिन्दी के लोकप्रिय दैनिक नवभारत टाइम्स पर भी इस संबंध में मुहिम चलायी गयी है पहले इन पंक्तियों के लेखक द्वारा चलायी गयी मुहिम का लिंकजिसका लिंक है
और अब लीजिये नवभारत टाइम्स पर सुश्री शिखा कौशिक द्वारा चलायी मुहिम का लिंक
11 कृपया एक पहल आप भी अवश्य करें महामहिम राष्ट्रपति जी का लिंक यहां है ।!!!!
कृपया एक पहल आप भी अवश्य करें महामहिम 11.11.11 को 11.11 बजे कुल 11 कडियों की सहायता से स्व0 अमृता प्रीतम की धरोहर को बचाने की मुहिम !
बुधवार, 9 नवंबर 2011
इस बार हमने ऐसे मनायी अपनी विवाह की वर्षगांठ ...
9 नवम्बर हमारी अधेंगिनी जी का जन्मदिवस होता है सो आज की पोस्ट उन्हे बधाई देते हुये तथा समर्पित करते हुये उन्हें याद दिलाते हैं अभी कुछ दिन पूर्व अपने विवाह की वर्षगांठ की निम्न पंक्तियों को आपके साथ साझा कर रहा हूँ
हमारे विवाह को अब बीस साल हो चले हैं। सरकारी कामों की हमें चाहें कितनी भी व्यस्तता क्यों न हुये हों लेकिन अब तक हम प्रत्येेक वर्षगांठ का दिन जिम्मेदारियों से बचाकर रखने में सफल रहे हैं। सामान्यतः हर वर्ष अपनी विवाह की वर्षगांठ मनाने हम किसी न किसी धार्मिक स्थल पर जाते है। (यह बात अलग है कि एक ही स्थान पर कई कई बार भी जा चुके है) कुछ पुराने मजेदार किस्से हैं विवाह की वर्षगांठ के जिन्हे फिर कभी। आज तो इस साल की वर्षगांठ का ताजा ताजा तरीन किस्सा यात्रा वृतांत के रूप में प्रस्तुता है।
चित्र1 पिथौरागढ़ जाने के लिये राष्ट्रीय मार्ग एन एच 09
उत्राखण्ड राज्य में प्रवेश करने के लिये तराई श्रेत्र में हल्द्धानी ,टनकपुर, कोटद्धार ऋषिकेष आदि अनेक प्रवेश द्वार हैं। यह सभी स्थान पहाड की सीमा आरंभ होने का संदेश देते हैं पर्वतीय क्षेत्र में आगे बढने के साथ ही जहाँ आपको ठेठ पर्वतीय संस्कृति के दर्शन मिलने लगते हैं वहीं इन सभी स्थानों पर वहुभाषी संस्कृति देखने को मिलती है । इन्हीं प्रवेश द्वारों में से एक प्रवेश द्वार है टनकपुर , जहाँ माँ पुण्यागिरि का दर्शन करने के बाद हमारी यात्रा का अगला पड़ाव मुख्य पर्वतीय क्षेत्र में प्रवेश का था। टनकपुर से प्रसिद्ध सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ जाने के लिये राष्ट्रीय मार्ग एन एच 09 हैं। इस मार्ग से यात्रा आरंभ करना बड़ा सुखद लगता है लेकिन अभी तीस चालीस किलोमीटर ही चले होंगे कि भूस्खलन के चलत राष्ट्रीय राजमार्ग की दुर्दशा प्रगट होने लगी।
हमारे विवाह को अब बीस साल हो चले हैं। सरकारी कामों की हमें चाहें कितनी भी व्यस्तता क्यों न हुये हों लेकिन अब तक हम प्रत्येेक वर्षगांठ का दिन जिम्मेदारियों से बचाकर रखने में सफल रहे हैं। सामान्यतः हर वर्ष अपनी विवाह की वर्षगांठ मनाने हम किसी न किसी धार्मिक स्थल पर जाते है। (यह बात अलग है कि एक ही स्थान पर कई कई बार भी जा चुके है) कुछ पुराने मजेदार किस्से हैं विवाह की वर्षगांठ के जिन्हे फिर कभी। आज तो इस साल की वर्षगांठ का ताजा ताजा तरीन किस्सा यात्रा वृतांत के रूप में प्रस्तुता है।
चित्र1 पिथौरागढ़ जाने के लिये राष्ट्रीय मार्ग एन एच 09
उत्राखण्ड राज्य में प्रवेश करने के लिये तराई श्रेत्र में हल्द्धानी ,टनकपुर, कोटद्धार ऋषिकेष आदि अनेक प्रवेश द्वार हैं। यह सभी स्थान पहाड की सीमा आरंभ होने का संदेश देते हैं पर्वतीय क्षेत्र में आगे बढने के साथ ही जहाँ आपको ठेठ पर्वतीय संस्कृति के दर्शन मिलने लगते हैं वहीं इन सभी स्थानों पर वहुभाषी संस्कृति देखने को मिलती है । इन्हीं प्रवेश द्वारों में से एक प्रवेश द्वार है टनकपुर , जहाँ माँ पुण्यागिरि का दर्शन करने के बाद हमारी यात्रा का अगला पड़ाव मुख्य पर्वतीय क्षेत्र में प्रवेश का था। टनकपुर से प्रसिद्ध सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ जाने के लिये राष्ट्रीय मार्ग एन एच 09 हैं। इस मार्ग से यात्रा आरंभ करना बड़ा सुखद लगता है लेकिन अभी तीस चालीस किलोमीटर ही चले होंगे कि भूस्खलन के चलत राष्ट्रीय राजमार्ग की दुर्दशा प्रगट होने लगी।
शनिवार, 5 नवंबर 2011
इमरोज! यह तूने क्या किया?
अमृता जी का पुराना घर जिसकी नेम प्लेट उनकी कलात्कता को दर्शाती है
हरकीरत हीर जी के ब्लाग से पता चला कि अमृता जी का हौज खास वाला घर बिक गया है। विस्तार से पढने पर जाना घर बिका ही नहीं घूल घूसरित भी हो चुका है। इमरोज जी ने इस बात की दिलासा दी है कि अमृता जी की यादों से जुडी तस्बीरें और अन्य सारी चीजें वे अपने साथ ले जाये है साथ ही मकान को बेचने का कारण बच्चों को पैसे की जरूरत बताया।
वाह रे इमरोज! पैसों की चाहे जैसी भी जरूरत क्यों न रही हो , अमृता जी से जुडी से जुडी इस विरासत को बेचने में तुम्हे कोई तकलीफ नहीं हुयी? फिर तुम कैसे दावा करते थे कि अमृता तो अब भी इसी घर में बसती है और वह तुम्हारे लिये मरी नहीं है।तुमने साबित कर दिया है कि तुमने हमेशा अमृताजी का उपयोग स्वार्थ के लिये ही किया। चाहे वे जीवित रही हों या अब उनके मरने के बाद ।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
लोकप्रिय पोस्ट
-
आदरणीय मित्रों , शुभप्रभात..! # पोस्टिंगनामा युगपुरुष अटलबिहारी बाजपेई और मदन मोहन मालवीय दोनों का जन्म आज ही के द...
-
शायद कोई पांच एक साल पुरानी बात है, किसी समारोह में स्मृति चिन्ह के रूप में दयानन्द पाण्डेय जी का उपन्यास 'बांसगांव की मुनमुन' मिल...
-
इसी तरह कडी दर कडी जुडते हुये बच जायेगी स्व0 अमृता प्रीतम की धरोहर स्व0 अमृता प्रीतम जी के निवास के25 हौज खास को बचाकर उसे राष्ट्रीय धरोहर क...
-
26 जुलाई का दिवस स्वतंत्र भारत के लिये एक महत्वपूर्ण दिवस है क्योंकि हम इसे कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ यादें आ...
-
23 जुलाई का दिवस भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास का महत्वपूर्ण दिवस है क्योंकि इस दिन राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़े दो भिन्न विच...