आजकल माहौल चुनावी है । गांव गांव में जागरूकता है और राजनैतिक चर्चाऐं हो रहीं हैं। यह लोकतंत्र में प्रतिनिधि चुनने की व्यवस्था के क्रम में एक अच्छा कदम है।
ऐसे माहौल में बीते दिन एक गांव जाना हुआ। गांव के बाहर स्थित अंबेडकर पार्क में गौतम बुद्ध और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा देखकर स्वयं को उसकी तस्वीर मोबाइल में कैद करने से नहीं रोक सका क्योकि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी की इस प्रतिमा का रंग सामान्यः नजर आने वाली अंबेडकर जी प्रतिमाओं से भिन्न था।
विगत कुछ वर्षो में यह देखने को मिला है कि विभिन्न राजनैतिक दलों ने रंगों को भी जैसे अपने दल के लिये पेटेन्ट ही करा लिया है।
ऐसे माहौल में इस ग्रामीण पार्क में स्थापित यह मूर्ति भी जैसे चुनावी महौल में रंग चुकी है।
गेरूये रंग में रंगी यह मूर्ति कहीं आने वाले लोकसभा चुनाव के परिणाम की चुगली तो नहीं कर रही है ?