पौराणिक युद्वों में सेनानियों को उत्साहित करने के लिये वीर रस के ओजपूर्ण कवियों का कविता पाठ प्रमुख भूमिका निभाता था यह विचार तो तर्क संगत हो सकता है परन्तु शस्त्र लाइसेंस को पाने के लिये कवितामय आवेदन की तर्कसंगता पर अवश्य विचार किया जाना चाहिये।
महात्मा गांधी की भ्रमण स्थली रहे जनपद हरदोई के शस्त्र लाइसेंस आवेदको के प्रार्थना पत्र विभिन्न रूपों में प्राप्त होते रहते हैं जिनपर यथासंभव कार्यवाहियां भी सम्पन्न करायी जाती हैं। अभी हाल ही में एक शस्त्र लाइसेंस का एक कवितामय आवेदन प्राप्त हुआ जिसे आपके साथ साझा करने का मोह संवरित नहीं कर सका
जनपद का गौरव जिलाधीश
आशीष आपका पाने को।
छोटे भाई की अभिलाषा
छोटा सा शस्त्र दिलाने की।
है अनुज तुम्हारा पत्रकार
जनता की है सेवा करता।
आत्म सुरक्षा हेतु शस्त्र की
अन्तर मन से आशा करता।
विनती स्वीकार करो मेरी,
आया हूं अर्ज लगाने को।
छोटे भाई की अभिलाषा
छोटा सा शस्त्र दिलाने की।
क्षत्रिय अधूरा लगता है,
कन्धे पर जिसके अस्त्र नहीं।
विजय दशहरा पर्वों पर ,
पूजन के लिये कोई शस्त्र नहीं।
हूं शस्त्र तमन्ना से प्यासा ,
आया हूं प्यास बुझाने को।
छोटे भाई की अभिलाषा
छोटा सा शस्त्र दिलाने की।
कवि कल्पना कर करके
इतिहास काव्य रच देते हैं ।
जो कलम आपकी चल जाये,
हर किस्से पूरे होते हैं।
जो काम असम्भव , सम्भव हो,
आया हूं पूर्ण कराने को।
छोटे भाई की अभिलाषा
छोटा सा शस्त्र दिलाने की।
भगवान राम की सत्ता में ,
यह लखन लाल का सपना है।
अधिकार आपके हाथों में ,
जीवन का हर क्षण अपना है।
यह सपना पूरा हो जाये ,
आया विश्वास जगाने को।
छोटे भाई की अभिलाषा
छोटा सा शस्त्र दिलाने की।
हो क्षमा याचना त्रुटियों की ,
हे पिता तुल्य! यह अभिलाषा।
निराश नहीं होने देना,
पूरा करना मेरी आशा।
टूटे फूटे इन शब्दों से,
आया फरियाद लगाने को।
छोटे भाई की अभिलाषा
छोटा सा शस्त्र दिलाने की।
इस बेहतरीन तुकान्त कविता के लेखक का नाम सार्वजनिक नहीं कर सकता क्योंकि यह एक शस्त्र आवेदक की व्यक्तिगत सुरक्षा से संबंधित है।
बहरलाल, आवेदक को इस सुन्दर तुकान्त कविता के लिये बधाई !