रविवार, 16 अक्तूबर 2011

हाँ! मैने भी पार कर ली है यह सडक!

लखनऊ के प्रशासनिक हलकों में हाई कोर्ट के सामने से गुजरती हुयी सडक अपना विशेष महत्व रखती है। यही वही सडक है जिस पर विभिन्न मामलों में आये दिन न्यायालय से गोहार लगाने के लिये आये सरकार के बडे से बडे अधिकारियों की गाडियां अक्सर खडी देखी जा सकती हैं। यही वह सडक है भी है जिसके एक कोने पर आये दिन विभिन्न समाचार चैनलों की लाइव न्यूज के लिये अनेक ओबी वैन भी बडी बेतरतीबी से खडी देखी जा सकती हैं।

यही वह सडक है जिस पर आये दिन कोई न कोई सरकारी या गैर सरकारी माफिया हाई कोर्ट के सम्मुख प्रस्तुत होने की हैसियत से लाया जाता है।


इसके अलावा यही वह सडक है जिस के एक कोने पर प्रदेश की जनता को सरकारी अस्पतालों के माध्यम से स्वस्थ रखने की जद्दोजहद कर रहा स्वाथ्य निदेशालय का स्वास्थ्य भवन स्थित है और उसके ठीक सामने आम उत्तर भारतीय का प्रिय व्यंजन बाटी और चोखा, पूरी सब्जी , छोले भटूरे से लेकर बंद मख्खन और इलीट वर्ग के लिय पीज्जा बर्गर और फलों की चाट तक सब ठेले पर बिक रहा होता है ।

इस सबके अलावा इस सडक की सबसे बडी विशेषता यह है कि इसके एक ओर जिलाधिकारी लखनऊ का कार्यालय है और दूसरी ओर राजस्व प्रशासन के मुखिया राजस्व परिषद का कार्यालय है।




प्रदेश में प्रशासन को चलाने के लिये जिम्मेदार सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी आई0 ए0 एस0 सहित अन्य सिविल और राजस्व सेवा के अधिकारियों के लिये भी यह सडक विशेष महत्व रखती है। जिला स्तर पर प्रशासन में नयी नवेली पैठ बनाने वाला परीवीक्षाधीन आई0 ए0 एस0/पी0 सी0 एस0 हो अथवा नायब तहसीलदार संर्वगीय अधिकारी उसके कैरियर की उडान जनपद की कलक्ट्रेट के विभिन्न पटलों से होकर ही आगे बढती है। और अगर वह प्रदेश की राजधानी की कलक्ट्रेट हो तो यह परिवीक्षा काल उसे अपने समूचे कैरियरपर्यन्त याद आता रहता है।यही आई0 ए0 एस0 अधिकारी सेवा के विभिन्न आयामों से होता हुआ अपनी सेवा के सर्वोच्च सोपान पर पहुँचने के बाद इस सडक की दूसरी ओर स्थित राजस्प परिषद में बतौर सदस्य अथवा अध्यक्ष आसीन होता है।

कुल मिलाकर बात इतनी सी है कि एक नया नवेला आई0 ए0 एस0 अधिकारी प्रौबेशन के तौर पर सडक के एक ओर तैनात होता है और सेवा के लगभग अंतिम सोपान पर सडक की दूसरी ओर राजस्व परिषद में । इस प्रकार इस सडक को पार करने में देश की सर्वोच्च सेवा के इन अधिकारियों को लगभग अपनी पूरा सेवाकाल खपाना होता है।

प्रशासनिक हलकों में सामान्यतः यह तथ्य प्रचारित है कि प्रदेश में कार्यरत अधिकारियों के लिये राजस्व परिषद की ओर आने के रास्ते तो सामान्यतः खुले होते हैं क्योकि प्रदेश के वरिष्ठतम आई0 ए0 एस0 हेतु सृजित पर से लेकर इसके विभिन्न अनुभागों में सहयोगी विशेषकार्याधिकारियों के रूप में कार्य करने हेतु प्रदेश में कार्यरत किसी भी स्तर के प्रशासनिक अधिकारी को यहाँ भेजा जा सकता है परन्तु यहाँ से बाहर जाने के रास्ते बहुत मुश्किल से ही खुलते हैं क्योंकि अति वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कार्य करते हुये उनकी सहमति और सद्इच्छा के बगैर बाहर निकलना संभव ही नहीं है।

कुछ माह पूर्व राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत हुयी आई0 ए0 एस0 अधिकारी श्रीमती सुनन्दा प्रसाद जी ने तो परिषद में आगमन पर अपने संबोधन में कहा था कि:-

‘‘तकरीबन बत्तीस साल पहले आइ0 ए0 एस0 प्रोबेशनर के रूप में सडक के पार स्थित कलक्ट्रेट में एस डी एम लखनऊ का पद संभालने के बाद पूरे सेवाकाल में प्रदेश में विभिन्न जनपदों मंडलो और शासन में तैनात रहने के बाद परिषद में आना ऐसा ही है जैसे एक यात्रा का पूरा होकर लगभग वहीं पहुँचना जहाँ से इसे प्रारंभ किया गया था।’’


विगत कुछ वर्षों से मैं भी राजस्व परिषद में विशेष कार्याधिकारी की हैसियत से कार्यरत रहा था। संभवतः अभी एक माह भी नहीं बीता होगा जब सेटेलाइट से प्राप्त संकंतों के माध्यम से उत्तर प्रदेश में भूसम्पत्तियों को यूनीक आई डी देने संबंधी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के प्रशिक्षण में लगा था और उससे संबंधित पोस्ट आपके साथ साझा भी की थी। बस चुनाव आयोग का एक फरमान आनन फानन में आया कि पूरे प्रदेश में अधिकारियों को बदल दिया जाय ताकि निकट भविष्य में प्रतीक्षित विधान सभा के चुंनाव हेतु निष्पक्ष भूमि तैयार की जा सके। निर्वाचन आयोग ने अनेक अवसरों पर यह घोषित भी किया है कि आई0 ए0 एस0 सहित अन्य सिविल और राजस्व सेवा के अधिकारी ही उसकी आंखें और कान होते हैं।

माननीय निर्वाचन आयोग के इस निर्देश ने मेरे लिये भी मा0 उच्च न्यायालय के सामने से गुजरती इस सडक को पार करते हुये कलक्ट्रªेट की ओर दाखिल होने के अवसर को उपलब्ध करा दिया है।


निर्वाचन आयोग की अपेक्षानुसार निष्पक्ष चुनाव कराने के पहले चरण में मैं अब राज्य की मतदाता सूची में सभी पात्र व्यक्तियों का नाम शामिल करवाने की मुहिम में लगा हुआ नजर आउँगा।

10 टिप्‍पणियां:

  1. राजमार्ग का एक पक्ष प्रस्तुत करता सुंदर आलेख।

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  2. आपको बहुत बहुत बधाई ||

    शानदार प्रस्तुतीकरण ||

    जल्दी ही आता हूँ लखनऊ ||

    शुभकामनाएं ||

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  3. .राजमार्ग की सही परिभाषा और विवरण अच्छा लगा बधाई

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  4. शुभकामनाएं! बस इस पार से उस पार जाने में आ गया एक इतिहास:)

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  5. आपका यह आलेख राजमार्ग को एक नयी परिभाषा दे गया ....आपका आभार

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  6. बहुत सुंदर सटीक !
    राजमार्ग को नए अंदाज़ में परिभाषित किया है आप ने !

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  7. आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है ।.दीपावली की शुभकामनाएं ।

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