बुधवार, 9 नवंबर 2011

इस बार हमने ऐसे मनायी अपनी विवाह की वर्षगांठ ...

9 नवम्बर हमारी अधेंगिनी जी का जन्मदिवस होता है सो आज की पोस्ट उन्हे बधाई देते हुये तथा समर्पित करते हुये उन्हें याद दिलाते हैं अभी कुछ दिन पूर्व अपने विवाह की वर्षगांठ की निम्न पंक्तियों को आपके साथ साझा कर रहा हूँ
हमारे विवाह को अब बीस साल हो चले हैं। सरकारी कामों की हमें चाहें कितनी भी व्यस्तता क्यों न हुये हों लेकिन अब तक हम प्रत्येेक वर्षगांठ का दिन जिम्मेदारियों से बचाकर रखने में सफल रहे हैं। सामान्यतः हर वर्ष अपनी विवाह की वर्षगांठ मनाने हम किसी न किसी धार्मिक स्थल पर जाते है। (यह बात अलग है कि एक ही स्थान पर कई कई बार भी जा चुके है) कुछ पुराने मजेदार किस्से हैं विवाह की वर्षगांठ के जिन्हे फिर कभी। आज तो इस साल की वर्षगांठ का ताजा ताजा तरीन किस्सा यात्रा वृतांत के रूप में प्रस्तुता है।


चित्र1 पिथौरागढ़ जाने के लिये राष्ट्रीय मार्ग एन एच 09

उत्राखण्ड राज्य में प्रवेश करने के लिये तराई श्रेत्र में हल्द्धानी ,टनकपुर, कोटद्धार ऋषिकेष आदि अनेक प्रवेश द्वार हैं। यह सभी स्थान पहाड की सीमा आरंभ होने का संदेश देते हैं पर्वतीय क्षेत्र में आगे बढने के साथ ही जहाँ आपको ठेठ पर्वतीय संस्कृति के दर्शन मिलने लगते हैं वहीं इन सभी स्थानों पर वहुभाषी संस्कृति देखने को मिलती है । इन्हीं प्रवेश द्वारों में से एक प्रवेश द्वार है टनकपुर , जहाँ माँ पुण्यागिरि का दर्शन करने के बाद हमारी यात्रा का अगला पड़ाव मुख्य पर्वतीय क्षेत्र में प्रवेश का था। टनकपुर से प्रसिद्ध सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ जाने के लिये राष्ट्रीय मार्ग एन एच 09 हैं। इस मार्ग से यात्रा आरंभ करना बड़ा सुखद लगता है लेकिन अभी तीस चालीस किलोमीटर ही चले होंगे कि भूस्खलन के चलत राष्ट्रीय राजमार्ग की दुर्दशा प्रगट होने लगी।





चित्र2 भूस्खलन से क्षतिग्रस्त राष्ट्रीय मार्ग एन एच 09
इस स्थान से लगभग सत्तर किलोमीटर की दूरी पर बसा है सुन्दर पर्वतीय जनपद चम्पावत। कहने को तो यह राजमार्ग है परन्तु चम्पावत पहुँचने तक मार्ग में अनेक स्थानो पर भूस्खलन के कारण असुविधाजनक हो गया है। पिछले वर्ष की बरसात से क्षतिग्रस्त हुये मार्ग जबतक पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता तबतक नये मौसम की बरसात आ जाती है ।





चित्र3 नदी के कटान से होते भूस्खलन का दृष्य
आगे बढते हुये मौसम इतना सुहाना था कि दूर तक नजर जाते प्रत्येक पर्वत शिखर को आसमान से झुककर चूमते बादलो ने कुछ इस तरह मन मोहना प्रारंभ किया कि इन सुहानी वादियों में हम भी स्वयं को किसी रोमांटिक फिल्म के हीरो जैसा पाने लगे। आखिर में एक ऐसी ही वादी में कार रोककर एक रोमांटिक फोटो खिंचवाने का मोह छोड न सके। हमने अपने साहबजादे के मार्फत इस क्षण को संजो लिया ताकि आप भी उस रोमांटिक क्षण का आनंद ले सकें। तस्वीर देखने के बाद हमने अपनी बेगम से कहा कि इस तस्वीर के हिसाब से अगर आपकी उम्र आंकी जाय तो मेरा यह दावा है कि कोई यह नहीं कह सकता कि यह हमारी बीसवी वैवाहिक वर्षगांठ की तस्वीर है और साथ की तस्वीर वाला मुण्डा अपना साहबजादा है। (श्रीमती जी ने मुझे बाद में बताया कि हमारा यही जुमला उन्हें इस वर्षगांठ का सबसे कीमती तोहफा लगा था। धन्यवाद, प्रिये! )



चित्र4 आप भी आनंद ले उस रोमांटिक क्षण का
अब हमने जब इस तरह फोटो खिंचायी तो हमारे साहबजादे कैसे चूक सकते थे सो उनका भी पोज हमें लेना पड़ा और उसे आपको देखना ही पड़ेगा ।


चित्र5 साहबजादे का यह पोज भी आपको देखना ही पड़ेगा

कुछ एक तस्वीरे खिंचाने के बाद हम आगे बढे। हमें लोहाघाट से लगभग दस किमी दूर पहाड की चोटी पर स्थित माउन्ट एवट नामक स्थान तक जाना था । यहां के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे स्व0 गणेश सिंह जी जिनके निवास स्थान पर अब उनके छोटे भाई रहते हैं । हमारे रात्रि विश्राम के लिये स्व0 गणेश सिंह जी के पारिवारिक घर को चुना था सो वहां पहुंचकर फोटोग्राफी का बचा हुआ शौक पूरा किया।


चित्र6 धरोहर की तरह संभाला राष्ट्रपति भवन का आमंत्रण पत्र

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व0 गणेश सिंह जी का आवास लोहाघाट कस्बे से लगभग दस किलोमीटर दूर माउन्ट एवट नामक स्थान पर स्थित है जो बाँझ और बुरांस के घने जंगलों से घिरा है। यह स्थान अंग्रजी शासन में चुनिंदा अंग्रेजों का निवास स्थान हुआ करता था। उन्हीं अंग्रेज परिवारों द्वारा अब यहाँ पर अपने सगे संबंधियों की याद में गिरजाघर का निर्माण किया गया है। इस स्थान से हिमालय की बर्फीली चोटियाँ चमकती हुयी दिखलायी पडती हैं।



चित्र7 माउन्ट एबट में बुरांस के खिले फूल
हम माउन्ट एबट में गिरजाघर और अन्य दर्शनीय स्थलो की सैर करने के निकले कि अचानक घिर आये बादलों ने समां रोमांचक बना दिया । हम कुछ समझ पाते इससे पहले ही मूसलाधार बारिश होने लगी तो पास ही बने गिरजाघर में शरण ली।


चित्र8 स्वतंत्रतासंग्राम सेनानी स्व0 गणेश सिंह जी राष्ट्रपति महोदय के साथ

वहां के रोमांचक वातावरण में घूमते और चहलकदमी करते हुये कब शाम हो गयी यह पता ही न चला। लौटकर गर्म गर्म चाय की चुस्कियों के बीच स्व0 गणेश सिंह जी के पारिवारिक एलबम का आनंद लिया और अगले दिन की यात्रा की योजना बनाते हुये बिस्तर में जा दुबके।


चित्र9स्व0 गणेश सिंह जी के घर पर

4 टिप्‍पणियां:

  1. भाई साहब रोमांचक पोज़ को देख सहज ही गीत याद आया -ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर ,कि तुम नाराज़ न होना ,कि तुम मेरी ज़िन्दगी हो कि तुम मेरी बंदगी हो ./याद न जाए बीते दिनों की ....मुबारक ये रोमांचक पल छिन ऐसे ही हँसते गाते सावन आयें आपकी सरस ज़िन्दगी में भाई साहब ,भाभी साहिबा छोटी सी .

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  2. आदरणीय veerubhai महोदय,

    आज श्री अरविन्द मिश्र जी के ब्लाग पर प्रकाशित एक टिप्पणी में स्पैम टिप्पणी के बारे में पढने के बाद अपने ब्लाग के डैश बोर्ड पर आकर टिप्पणियों की पडताल की तो आपकी टिप्पणी को स्पैम में देखकर बहुत दुख हुआ ।
    आपके आर्शिवचनों को समय से न पा सकने का मलाल रहा।

    बहरहाल अब स्पैम टिप्पणियां bhi नियमित देखूँगा।
    आर्शिवाद देने के लिये आपका आभार

    जवाब देंहटाएं

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