बुधवार, 15 जून 2011

सरकारी खरीद

वर्ष पूरा हुआ

वार्षिक लेखा जोखा नापने को

अधिकारियों के घरों पर

तराजू लगाये गये हैं

ठीक सरकारी गल्ला खरीद केन्द्र जैसे

किसी निरीह किसान की तरह

मैं भी कई दिनों से खडा हूँ

अपना गल्ला लेकर

लेकिन हर रोज कोई कोई

बिचैलिया भरमा देता है मुझे

या कोई पल्लेदार झटक देता है मेरा हाथ

यह कहते हुए कि

तुम्हारे अनाज में कंकडों की मिलावट है

यह ऐसे नहीं खरीदा जा सकेगा

और मैं किसी पिल्ले की तरह

दुम हिलाता हुआ

बार बार चला जाता हूँ उनके सामने

और सोचता हूँ

सरकारी कामों को निबटाना

उतना जरूरी नहीं है

जितना जरूरी है

तलवे चाटने में महारत हासिल करना

सच में !

कैसी विडंबना है कि

उन्हें मूल्यांकन करना है

जिन्हें व्यवस्था ने स्वयं

वर्षो से ढोया है

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