गुरुवार, 16 जून 2011
एक अधूरी पेंटिंग [कहानी]
वह घर मुझे शमशान घाट की ऐसी चिता जैसा जान पड़ा जिसमें एक अरसे से कृति का शरीर लगातार जलता रहा हो और आज जिसकी कपाल क्रिया पूर्ण हुयी हो। मैने शमशान घाट पर चिता में जल चुके शरीर के अवशेष फूलों की मानिंद उस कमरे से वह आधी अधूरी पेंटिंग, खाली कैनवास और चित्रकला की किताबें और रंग तथा ब्रशों से भरा पैकेट चुनकर उठाया और उसे अपनी कार में डालकर एक बार भारी मन से उस घर की ओर देखा जो उस शमशान के चांडालों से घिरा जान पड़ता था।
पूरी कहानी पढ़ने के लिए आगामी लिंक पर क्लिक करे .........
[कहानी] - अशोक कुमार शुक्ला |साहित्य शिल्पी:
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kab poora kar rahe hain isse ??
जवाब देंहटाएंJindagi ke raaste bas isi tarah. Kuch adoori ummidon ke saath. Katte rahte hai. Aapaki pratikriya ke liye aabhari hun. Gopal ji.
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